मुक्तसिर सा गम ही मार डालेगा

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उसने कहा था छोड़ दे मुझे बेवफा समझकर

खामोश रह गये हम वक्त की हवा समझकर

सिवा आंसुओं के कुछ भी गिरा नहीं

उन्हें भी पी गये हम दवा समझकर

बेरुखी साफ नज़र आई मेरे मेहबूब तेरे रुखसार पर

चाहत ए इश्क है उसे भी भुला दिया तेरी अदा समझकर

फिर ज़िंदगी मेरी गफलत ए अंजाम पर पहुंची

इस बार भी लौट आये तेरी सदा समझकर

आसान नहीं है अगर तो बहुत मुश्किल भी कहां था

बदल तो सकते थे खुद को मेरी इल्तेजा समझकर

शायर – बाबू कुरैशी

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Babu Qureshi

About the Author: Babu Qureshi

I belong from Bhopal, M.P.India. I am Oscar Award Nominee and Grammy Awards Nominee for the first time in 2014. I am also a novel writer, film script writer& member of SWA,Mumbai.

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