कोरोना वायरस कैसे लगता है ? इसका पता बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है, उसके लिये हमें तीन बंदरों को लेना होगा – चाइल्ड बंदर, यंग बंदर और ओल्ड बंदर । इनको मास्क पहनाकर कोरोना वायरस के मरीज़ के करीब रखना होगा पांच – सात दिन, कोरोना वायरस के मरीज़ तीनों बंदरों को छूयें भी । फिर उन बंदरों का टेस्ट करें कि क्या छूने से कोरोना वायरस लगा ? लगा तो किस उम्र के बंदर को ? अगर तीनों बंदरों को नहीं लगता है तो ये समझना चाहिये कि ये छूने से नहीं लगता । फिर तीन नये बंदर लें उसी उम्र के, अब उनके मास्क भी हटा दें और कोरोना वायरस के मरीज़ के पास पांच – सात दिन रखें, फिर उनका टेस्ट करें । अगर वो कोरोना पॉज़िटिव नहीं पाये जाते हैं तो ये प्रूफ हो जायेगा कि ये छूने, मुंह और नाक के रास्ते नहीं जा रहा । फिर हमें शहर, दुकानें, मॉल और सोशल डिस्टेन्सिंग की कोई ज़रूरत नहीं है, अगर मास्क हटाने के बाद लगता है तो छूने का डर खतम हो जायेगा । इस तरह हम कोरोना वायरस को पकड़ सकते हैं । शोधकर्ताओं से अपील – मेरी इस बात पर गंभीरता से ध्यान दें, अभी तक सारे देश वैक्सीन बनाने के लिये बंदरों पर रिसर्च कर रहे हैं मगर मैं ये कहता हूं कोरोना लगता कैसे है ये बंदरों पर टेस्ट करके पता किया जाना चाहिये और इस तरह कोरोना वायरस बहुत जल्दी पकड़ा जायेगा । ये एक देश की समस्या नहीं है बल्कि पूरे विश्व की समस्या है । शोधकर्ताओं का कहना है कि ये चीन के वुहान शहर से फैला और चमगादड़ इसका कारण बताये गये मगर हैरत इस बात की है कि ये वुहान के अलावा चीन के दूसरे शहरों में क्यों नहीं फैला ? चमगादड़ अगर इसका कारण हैं तो चीन से लगे देश ताइवान में क्यों नहीं फैला कोरोना वायरस ? अभी वैज्ञानिकों ने नई रिसर्च में ये बताया है कि कोरोना हवा से भी फैलता है तो चीन के वुहान शहर से बाहर कोई हवा नहीं चली थी क्या ? चीन में वुहान से हवा में क्यों नहीं फैला ? पॉइन्ट नं 1 – दुनिया के कई डॉक्टर्स पीपीई किट पहने हुये थे मतलब उन्होंने अपने आप को फुल कवर किया हुआ था फिर उन्हें कोरोना वायरस कैसे हुआ? ये सोचने का विषय है । कई लोग घर से बाहर भी नहीं निकले वो भी कोरोना पॉज़िटिव पाये गये, उन्हें कैसे लगा ? कई परिवारों के सिर्फ एक मेम्बर को कोरोना वायरस हुआ , बाकी को क्यों नहीं हुआ? डॉक्टरों की थीम ये है कि उनकी इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग थी तो कई परिवारों को मैं जानता हूं उनके परिवार में छोटे बच्चे भी थे और बुज़ुर्ग कई बीमारियों से पीड़ित थे, फिर उन्हें क्यों नहीं लगा? क्या छोटे बच्चे और बीमार बुज़ुर्गों की इम्यूनिटी मज़बूत थी? मतलब साफ है कोरोना के मामले में अभी कोई ठोस प्रमाण नहीं है कि ये लगता कैसे है? आपको जानकर हैरत होगी शासन प्रशासन और डॉक्टर्स बराबर ये अपील कर रहे हैं कि दस – ग्यारह साल के बच्चे और 70 साल के बुज़ुर्ग बाहर ना निकलें उन्हें कोरोना लग सकता है तो कई परिवारों में बीमार बुज़ुर्ग और बच्चों को कोरोना नहीं हुआ बल्कि उस घर के जवान और स्ट्रॉन्ग लड़के को हो गया, अब इस बात से क्या माना जाये? इसीलिये दुनियाभर के वैज्ञानिकों से, डॉक्टरों से, मीडिया से अपील – मेरी बात को तेज़ी से उठायें । ये देश और जनहित में जारी ।
नोट – ऐसा ही कोरोना वायरस 2012 में सऊदी अरब में आया था SARS के रूप में । फिर 2015 में ये साऊथ कोरिया में आया, तो कहीं इन दोनों देशों में इस वायरस का ट्रायल तो नहीं किया गया था? क्योंकि इन दोनों देशों से ये वायरस बाहर नहीं गया था । ऐसे ही चीन के वुहान से ये बाहर नहीं गया तो क्या चीन ने वुहान में ट्रायल किया? और शायद इसीलिये कि किसी का शक उस पर ना जाये और उसके बाद पूरी दुनिया में इसको फैला दिया । ऐसा मैं सोचता हूं, पूर्ण रूप से इसका दावा नहीं कर सकता । आप लोगों की क्या राय है? इस पर कमेन्ट्स करें ।
जारीकर्ता और नॉविल राइटर – बाबू कुरैशी
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